बचपन की कुछ सुनहरी यादें | Childhood Memories, 90's ki Yaadein Poem, kavita, story in Hindi

90s childhood memories quotes
बचपन की पुरानी यादें, short story in hindi
bachpan ki yade नमस्कार दोस्तों_ आज का जो यह पोस्ट  मैं आप लोगों से साझा कर रहा हूं, इसे मैंने फेसबुक पर पढ़ा था, मुझे अच्छा लगा इसलिए मैं इसे आप लोगों के साथ भी शेयर कर रहा हूं 

इसके लेखक का नाम तो मुझे नहीं पता है, अगर आपको पता हो तो कृपया मुझे जरूर बताइएगा 

दोस्तों यह पोस्ट 90's के दिनों की बचपन की यादों पर आधारित है, जिन्हें पढ़कर आपको अपना बीता हुआ बचपन याद आ जाएगा, वह तमाम गलतियां और शरारते याद आ जाएंगी जो आपने अपने बचपन के दिनों में की होंगी 

और मुझे विश्वास है या पोस्ट पढ़ने के बाद आपकी आंखें जरूर नम हो जाएंगी 
तो चलिये_चलते_है_90's में. bachpan ki yaadein story, poem, kavita, quotes, shayari, poetry

बचपन की पुरानी यादें | 90's ki yaadein poem, kavita, quotes, shayari, poetry short story in hindi

एक दिन घुमा दूंगा घड़ी की सुई को एंटी-क्लॉकवाइज़ और जाऊंगा वक़्त में वापस और जमीन से उठाकर वो सभी घी-चुपड़ी रोटियां फिर से चाय में डुबाकर खाऊंगा, जिन्हें मैंने माँ से आँख बचाकर फेंक दिया था..

एक दिन जाऊँगा जनवरी की सुबह में वापस जहां मैं अपनी बैटिंग करके भाग गया था और कराऊंगा बचे हुए ओवर उस दोस्त को, जो ट्यूशन बंक करके खेलने आया था..

एक दिन चुपके से घुस जाऊँगा मम्मी-पापा वाले कमरे में, जहाँ दिन भर काम करने के बाद मम्मी अपने ही पैर, अपने हाथ से दबा रही होगी! सॉरी बोलूँगा और रात भर उनके पैरों की मालिश करूंगा! और पापा के पर्स में चोरी वाले दस रुपये वापस रखकर देखूंगा कि उसमे क़र्ज़ की कितनी नोटें थी जब मेरे कहने पर उन्होंने मेरे दो-दो ट्यूशन की फीस दी थी!

अपना नया मकान तोडकर उठाऊंगा वो लाल वाली ईंटें और बनाऊंगा वो पुराना वाला घर जिसका आँगन कच्चा था और हर कमरे में पर्दे थे दरवाज़े नहीं। उस आंगन को खोदूंगा और निकाल दूंगा उन सभी चीटियों को जिन्हें मैंने खेल-खेल में राम नाम सत्य गाते हुए मिटटी में दबा दिया! उस चिड़िया का घोंसला भी रख दूंगा अपने नीम पर जिसे मैंने खुद को अर्जुन समझते हुए ईंटा मारकर गिरा दिया था! उन फूटे अण्डों को तो नहीं रख सकता क्यूंकि उसे तो चीटियाँ तभी चट कर गई थीं!

जाऊँगा और दादी के लहसुन-मिर्चे वाले हाथों को सूंघकर डायरी में नोट कर लूँगा और दुनिया को लाकर दिखाऊंगा की स्वाद का भी एक केमिकल स्ट्रक्चर हो सकता है! बाबा की छड़ी की लम्बाई और उनकी गोद की गहराई नापकर एक थ्योरम बनाकर सिद्ध करूंगा कि भय और प्रेम एक दूसरे के पूरक हैं!

जाऊँगा वापस स्कूल में और पूछूंगा अपने टीचर से कि सर्दी की धूप में देखने पर जो आँख के अंदर रेशा उड़ता है क्या वही किताब वाला अमीबा है? और ये पूछूंगा कि एक से बीस तक के पहाड़े रटना जीवन की सफलता के समानुपाती क्यों है? पूछूंगा की सीनरी में हमेशा पहाड़ भूरे ही क्यों हैं, और हरे और सफ़ेद बनाने पर मेरे नम्बर क्यों काट लिए गए? 

और थोडा बढ़कर जाऊँगा असेम्बली में जहाँ मैं और मेरे तीन दोस्त सजा में मुर्गा बने हैं पर फिर भी टांगो के नीचे से देखने पर आसमान हमारे पैरों तले है..उस आसमान के साथ एक सेल्फी लूँगा और टैग कर दूंगा वक़्त को उसमें, उसे उसकी औकात दिखाने को..

किसी दिन घड़ी का काँटा पकड़ कर बहुत जोर से छलांग लगाऊंगा पीछे की ओर और कलामंडी खाकर गिरूंगा अपने गाँव की उस नहर में जिसमे मैं कूदने की हिम्मत नहीं कर पाया था और नंगे नहाते हर लौंडो का झुंड मुझ पर हँस रहा था..और वहीँ किनारे बैठे ‘पगले-बाबा’ से सुनूंगा तालाब वाले बुढ़वा-भूत की बाकी की कहानी जिसे आधा सुनकर मैं रात भर सो नहीं पाया था..

अगर जा सका तो...

Related Posts👇🏻🙏🏻❤️

90's ki Yaadein Poem, kavita, Quotes, shayari, Poetry short story in English

ek din ghuma dunga ghadi ki sui ko anti-clockwise aur jaunga vaqt mein vaapas 

aur jameen se uthaakar vo sabhi ghee-chupadi rotiyaan fir se chai mein dubaakar khaunga, 

jinhen mainne maa se aankh bachaakar fenk diya tha.. 

ek din jaunga janavari ki subah mein vaapas jahaan main apani baiting karake bhaag gaya tha 

aur karaunga bache hue ovar us dost ko, 

jo tuition bunk karake khelane aaya tha.. 


ek din chupake se ghus jaunga mammi-paapa vaale kamare mein, 

jahaan din bhar kaam karane ke baad mammi apane hi pair, 

apane haath se daba rahi hogi! 

sorry bolunga aur raat bhar unake pairon ki maalish karoonga! 

aur paapa ke purse mein chori vaale das rupaye vaapas rakhakar 

dekhunga ki usame karz ki kitani noten thi 

jab mere kahane par unhonne mere do-do tuition ki fees di thi! 


apana naya makaan todakar uthaunga vo laal vaali eenten 

aur banaunga vo puraana vaala ghar jisaka aangan kachcha tha 

aur har kamare mein parde the daravaaze nahin. 

us aangan ko khodunga aur nikaal dunga un sabhi cheetiyon ko 

jinhen mainne khel-khel mein raam naam saty gaate huye mitati mein daba diya!

 us chidiya ka ghonsala bhi rakh dunga apane neem par 

jise mainne khud ko arjun samajhate huye eenta maarakar gira diya tha! 

un fute andon ko to nahin rakh sakata 

kyoonki use to cheetiyaan tabhi chat kar gai theen! 

jaoonga aur daadi ke lahasun-mirche vaale haathon ko sunghakar diary mein not kar loonga 

aur duniya ko laakar dikhaunga ki swad ka bhi ek chemical structure ho sakata hai! 

baaba ki chadi ki lambai aur unaki god ki gaharai naapakar 

ek thyoram banaakar siddh karunga ki bhay aur prem ek doosare ke purak hain! 

jaunga wapas school mein aur puchhunga apane teacher se ki 

sardi ki dhoop mein dekhane par jo aankh ke andar resha udata hai 

kya vahee kitaab vaala ameeba hai? 

aur ye puchhunga ki ek se bees tak ke pahaade ratana 

jeevan ki safalata ke samaanupati kyon hai? 

puchhunga ki seenari mein hamesha pahaad bhure hi kyon hain, 

aur hare aur safed banaane par mere numbar kyon kaat liye gaye? 


aur thoda badhakar jaunga assembly mein jahaan 

main aur mere teen dost saja mein murga bane hain 

par phir bhi taango ke neeche se dekhane par 

aasamaan hamaare pairon tale hai..us aasamaan ke saath ek selfie lunga 

aur tag kar dunga waqt ko usamen, use usaki aukaat dikhaane ko.. 


kisi din ghadi ka kaanta pakad kar bahut jor se chhalaang lagaunga 

peechhe ki or aur kalaamandi khaakar girunga 

apane gaanv ki us nahar mein jisame main kudane ki himmat nahin kar paaya tha 

aur nange nahaate har laundo ka jhund mujh par hans raha tha..

aur vaheen kinaare baithe ‘pagale-baaba’ se sununga taalaab vaale budhava-bhoot ki baaki ki kahaani 

jise aadha sunakar main raat bhar so nahin paaya tha.. 

agar ja saka to...

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.