Tuesday, March 19, 2024

मिर्ज़ा ग़ालिब की 6 चुनिन्दा ग़ज़लें | Mirza Ghalib Ghazal In Hindi

Mirza Ghalib Ghazal In Hindi: नमस्कार दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपके लिए मिर्ज़ा ग़ालिब कि लिखी 6 बेहतरीन ग़ज़ल लेकर आये हैं जो कि बहुत ही लोकप्रिय हैं और मैं आशा करता हूँ कि ये ग़ज़लें आपको जरुर पसंद आएँगी 

Mirza Ghalib Ghazal In Hindi
Mirza Ghalib Ghazal In Hindi 

मिर्ज़ा ग़ालिब की 6 चुनिन्दा ग़ज़लें | Mirza Ghalib Ghazal In Hindi 

1. Ghalib Shayari Poetry Quotes - मेहरबां हो के बुला लो

मेहरबां हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वकत,

मैं गया वकत नहीं हूं कि फिर आ भी न सकूं,

जोफ़ में ताना-ए-अग़यार का शिकवा क्या है,

बात कुछ सर तो नहीं है कि उठा भी न सकूं,

ज़हर मिलता ही नहीं मुझको सितमगर वरना,

क्या कसम है तिरे मिलने की कि खा भी न सकूं।

2. मिर्ज़ा ग़ालिब की फेमस ग़ज़ल- घर हमारा जो न रोते भी तो वीरां होता

घर हमारा जो न रोते भी तो वीरां होता,

बहर गर बहर न होता तो बयाबां होता,

तंगी-ए-दिल का गिला क्या ये वो काफ़िर दिल है,

कि अगर तंग न होता तो परेशां होता,

वादे-यक उम्र-वराय बार तो देता बारे,

काश रिज़वां ही दरे-यार का दरबां होता।

3. मिर्ज़ा ग़ालिब की ग़ज़ल - कोई उम्मीद बर नहीं आती

कोई उम्मीद बर नहीं आती,

कोई सूरत नज़र नहीं आती,

मौत का एक दिन मुअय्यन है,

नींद कयों रात भर नहीं आती,

आगे आती थी हाले-दिल पे हंसी,

अब किसी बात पर नहीं आती,

जानता हूं सवाबे-ताअत-ओ-ज़ोहद,

पर तबीयत इधर नहीं आती,

है कुछ ऐसी ही बात जो चुप हूं,

वरना क्या बात कर नहीं आती,

कयों न चीखूं कि याद करते हैं,

मेरी आवाज़ गर नहीं आती,

दाग़े-दिल गर नज़र नहीं आता,

बू भी ऐ बूए चारागर नहीं आती,

हम वहां हैं जहां से हमको भी,

कुछ हमारी ख़बर नहीं आती,

मरते हैं आरजू में मरने की,

मौत आती है पर नहीं आती,

काबा किस मूंह से जाओगे 'ग़ालिब',

शरम तुमको मगर नहीं आती।

4. Mirza Ghalib Shayari Poetry - दिया है दिल अगर उस को

दिया है दिल अगर उस को , 

बशर है क्या कहिये 

हुआ रक़ीब तो वो , 

नामाबर है , क्या कहिये

यह ज़िद की आज न आये 

और आये बिन न रहे 

काजा से शिकवा हमें किस क़दर है , 

क्या कहिये

ज़ाहे -करिश्मा के यूँ दे रखा है 

हमको फरेब 

की बिन कहे ही उन्हें सब खबर है , 

क्या कहिये

समझ के करते हैं 

बाजार में वो पुर्सिश -ऐ -हाल 

की यह कहे की सर -ऐ -रहगुज़र है ,

 क्या कहिये

तुम्हें नहीं है सर-ऐ-रिश्ता-ऐ-वफ़ा 

का ख्याल 

हमारे हाथ में कुछ है, 

मगर है क्या कहिये

कहा है किस ने की

ग़ालिब ” बुरा नहीं लेकिन 

सिवाय इसके की 

आशुफ़्तासार है क्या कहिये।

5. Mirza Ghalib Shayari - मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें

मैं उन्हें छेड़ूँ और कुछ न कहें,

चल निकलते जो में पिए होते,

क़हर हो या भला हो , जो कुछ हो,

काश के तुम मेरे लिए होते,

मेरी किस्मत में ग़म गर इतना था,

दिल भी या रब कई दिए होते, 

आ ही जाता वो राह पर ‘ग़ालिब ,

कोई दिन और भी जिए होते,

दिले-नादां तुझे हुआ क्या है,

आख़िर इस दर्द की दवा क्या है,

हम हैं मुशताक और वो बेज़ार,

या इलाही ये माजरा क्या है,

मैं भी मूंह में ज़ुबान रखता हूं,

काश पूछो कि मुद्दआ क्या है,

जबकि तुज बिन नहीं कोई मौजूद,

फिर ये हंगामा-ए-ख़ुदा क्या है,

ये परी चेहरा लोग कैसे है,

ग़मज़ा-ओ-इशवा-यो अदा क्या है,

शिकने-ज़ुल्फ़-ए-अम्बरी क्या है,

निगह-ए-चशम-ए-सुरमा क्या है,

सबज़ा-ओ-गुल कहां से आये हैं,

अबर क्या चीज है हवा क्या है,

हमको उनसे वफ़ा की है उम्मीद,

जो नहीं जानते वफ़ा क्या है,

हां भला कर तेरा भला होगा,

और दरवेश की सदा क्या है,

जान तुम पर निसार करता हूं,

मैं नहीं जानता दुआ क्या है,

मैंने माना कि कुछ नहीं 'ग़ालिब',

मुफ़त हाथ आये तो बुरा क्या है।

6. Galib Ki Shayari In Hindi- गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के

गैर ले महफ़िल में बोसे जाम के 

हम रहें यूँ तश्ना-ऐ-लब पैगाम के 

खत लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो 

हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के 

इश्क़ ने “ग़ालिब” निकम्मा कर दिया 

वरना हम भी आदमी थे काम के।

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